आईआईटी के साथ कॉन्टिनेंटल इंडिया एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम बनाने पर करेगा काम
हाइलाइट्स
कॉन्टिनेंटल इंडिया ने ऑटोनोमस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम पर बनाने के लिए देश के जानेमाने तकनीकी संस्थानों के साथ करार किया है. इसमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान बैंगलुरु (IIIT-B) और इंद्रप्रस्थ सूचना तकनीकी संस्थान दिल्ली (IIIT-D) शामिल है. कॉन्टिनेंटल चार इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ उन चीज़ों का निर्माण करेगी, जो कि इस तकनीक को अपनाने में तेज़ी लाने वाले ADAS के लिए महत्वपूर्ण होगा. कॉन्टिनेंटल ADAS तकनीक को बनाने में सबसे आगे रहा है, जिसके पास LiDAR में बढ़त है. हाल ही में कंपनी ने AED के साथ LiDARs में भी निवेश किया था.
कॉन्टिनेंटल का पास अत्याधुनिक LiDAR तकनीक है.
भारत में कॉलेजों के साथ मिल कर कॉन्टिनेंटल इंडिया पैदल चलने वालों, साइकिल सवारों और यहां तक कि जानवरों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है. ये चीज़ें कई कारणों में से एक हैं, जिनको लोग वजह मानते हैं कि ऑटोनोमस कारें भारतीय सड़कों के लिए नहीं हो सकती हैं. ADAS तकनीक डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करते हुए ऑनबोर्ड कंप्यूटिंग सिस्टम के माध्यम से रेडार, कैमरा और LiDARs जैसे सेंसर से इनपुट लेती है.
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ADAS प्रारंभिक स्तर की ऑटोनोमस तकनीक है.
कॉन्टिनेंटल टेक्नोलॉजी सेंटर में इंजीनियरिंग, सेंसोनीक्स - एडीएएस के प्रमुख प्रवीण कुमार ने कहा, "भारत को शीर्ष इंजीनियरिंग प्रतिभा के लिए पहचाना जाता है. हम भारत में प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के साथ उच्च सहयोग में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. हमारे कार्यक्रमों का उद्देश्य आज की ड्राइवर-सहायक तकनीकों की सीमाओं को आगे बढ़ाना है. हमें सड़कों पर और समझदार वाहनों को लाना है".
Last Updated on November 25, 2020
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