सरकार ने इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए अलॉट किए Rs. 10,000 करोड़, जानें कहां होंगे खर्च
हाइलाइट्स
लंबे समय से जिस फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलैक्ट्रिक व्हीकल 2 -फेम 2- स्कीम का इंतेज़ार किया जा रहा था, उसे यूनियन केबिनेट से 28 फरवरी 2019 को मंजूरी मिल गई है. इस स्कीम के तहत भारत में इलैक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है. इस राशि को 1 अप्रैल 2019 से लागू की जा रही स्कीम से अगले तीन साल तक उपयोग किया जाएगा. 2015 में लागू की गई 895 करोड़ रुपए लागत वाली फेम 1 स्कीम की सफलता को देखते हुए फेम 2 स्कीम को लागू किया जाने वाला है. सरकार द्वारा आबंटित 10,000 करोड़ रुपए की राषि को इलैक्ट्रिव वाहनों और ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जाएगा जिससे 2030 तक 100% वाहनों को इलैक्ट्रिक बनाने का काम किया जा सके.
तय समय के अंदर देश में 10 लाख इलैक्ट्रिक टू-व्हलर खरीदी जाएं ये सरकार का लक्ष्य है
फेम 2 के अंतर्गत इलैक्ट्रिक वाहनों की खरीद को सस्ता बनाना और इन वाहनों की चार्जिंग की पर्याप्त व्यवस्था पर काम किया जाएगा. इसके साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए भी कई सारे थ्री-व्हीलर्स और हल्के इलैक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किया जाएगा. वाहनों को सस्ता बनाने के लिए कमर्शियल वाहनों को तवज्जो दी गई है जिनमें थ्री-व्हीलर और फोर-व्हीलर शामिल हैं. सरकार का लक्ष्य है कि तय समय के अंदर देश में 10 लाख इलैक्ट्रिक टू-व्हलर, 5 लाख इलैक्ट्रिक थ्री-व्हीलर, 55,000 इलैक्ट्रिक फोर-व्हीलर और 7,000 इलैक्ट्रिक बसें खरीदी जाएं. ये इंसेंटिव सिर्फ उन्हें दिया जाएगा जो लीथियम-इऑन बैटरी से लैस वाहन खरीदेंगे या आधुनिक तकनीक वाले वाहन जिसमें फ्यल सेल शामिल है.
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स्कीम के तहत 2,700 चार्जिंग स्टेशन्स लगाए जाएंगे
फेम 2 स्कीम में प्राइवेट कारों को शामिल किया जाएगा या नहीं, इसपर कोई बात साफ नहीं हो पाई है. स्कीम के तहत महानगरों और बाकी स्मार्ट सिटी के साथ टियर टू सिटी और पहाड़ी इलाकों में 2,700 चार्जिंग स्टेशन्स लगाए जाएंगे. इन शहरों में हर 3 किमी पर एक चार्जिंग स्टेशन और हाईपर पर हर 25 किमी पर चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. भारत में इलैक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों ने इस स्कीम की काफी पैरवी की थी और इसे भारत में जल्द लागू किए जाने की मांग भी की थी. ऑडी ने भारत में ई-ट्रॉन लॉन्च करने की फैसला लिया है, इससे समझा जा सकता है कि भारत में वाहनों को इलैक्ट्रिक करने और उसके लिए पर्याप्त प्रारूप की कितनी ज़रूरत है.
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