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महिंद्रा को बख़्तरबंद वाहन के लिए रक्षा मंत्रालय से मिला Rs. 1,056 करोड़ का ऑर्डर

नए कॉन्ट्रैक्ट में हथियारों से लैस टैक्टिकल वाहन का इस्तेमाल सेना द्वारा रेकी में किया जाएगा और सभी वाहनों की लागत रु 1,056 करोड़ है. पढ़ें पूरी खबर...
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द्वारा अंशुमन साकल्ले

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प्रकाशित मार्च 23, 2021

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Story

हाइलाइट्स

    महिंद्रा डिफेंस सिस्टम लिमिटेड (MDS) बख़्तरबंद वाहन बनाने वाला महिंद्रा एंड महिंद्रा का एक धड़ा है जहां से हाल में जानकारी मिली है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा उन्हें एक बड़ा ऑर्डर मिला है. यहां रक्षा मंत्रालय की ओर से 1,300 लाइट स्पेशलिस्ट वाहन (LSV) की मांग की गई है. इस नए कॉन्ट्रैक्ट में हथियारों से लैस टैक्टिकल वाहनों का इस्तेमाल भारतीय सेना द्वारा रेकी और हथियारों की आवाजाही में किया जाएगा और सभी वाहनों की लागत रु 1,056 करोड़ है. महिंद्रा लाइट स्पेशलिस्ट वाहन का भारतीय सेना में प्रवेश अगले चार साल तक कई पड़ावों में होगा जिसकी शुरुआत 2021 से होगी.

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    कंपनी द्वारा जारी आधिकारिक बयान में महिंद्रा डिफेंस सिस्टम लिमिटेड के चेयरमैन, एसपी शुक्ला ने कहा कि, “यह कॉन्ट्रैक्ट असल में आत्मनिर्भर भारत पहल की सफलता दर्शाता है. आधुनिक टैक्टिकल वाहन के लिए यह पहला बड़ा ऑर्डर है जिसे निजी घरेलू निर्माता कंपनी द्वारा भारत में डिज़ाइन और डेवेलप किया जा रहा है. इस कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए बेहतरीन क्षमता वाले भारतीय प्लैटफॉर्म को अपनाने का रास्ता और मजबूत हुआ है.”

    58cmh0o8वाहन के एक वर्जन का इस्तेमाल भारतीय बटालियन द्वारा किया जा रहा है

    भारतीय सेना के मानकों पर बने रहते हुए MDS ने नए वाहन को बहुत काबिल और मजबूत बनाया है. महिंद्रा का दावा है कि इसकी आधुनिक डिज़ाइन भविश्य में इसे बूढ़ा नहीं होने देगी और MDS के पास इन वाहनों को लाइफ साइकल सपोर्ट मुहैया कराने के लिए सभी मायनों में ज़रूरी आईपी और क्षमता है. कंपनी का कहना है कि भारतीय सेना द्वारा LSV की काबीलियत का ज़ोरदार परीक्षण किया जा रहा है जिसमें वाहन को अलग-अलग रास्तों, पहाड़ों, रेगिस्तान और हर विपरीत स्थिति में चलाकर देखा जा रहा है. MDS LSV इकलौता ऐसा वाहन है जिसने फील्ड, बेलिस्टिक्स और तकनीक के सभी ट्रायल्स को पास किया है.

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    महिंद्रा के लाइट स्पेशलिस्ट वाहन के एक वर्जन का इस्तेमाल भारतीय बटालियन द्वारा किया जा रहा है जिसे यूएन के शांति कायम करने के मिशन हेतु अफ्रीका भेजा गया है. MDS का कहना है कि बाकी पड़ोसी मित्र देशों ने भी इस वाहन को लेकर जानकारी ली है जिसके बाद भारत में बने इस वाहन को विदेशों तक निर्यात किए जाने की संभावना भी बढ़ गई है.

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