रेनॉ डस्टर 1.3 टर्बो पेट्रोल का रिव्यू: कार को मिला दमदार इंजन
हाइलाइट्स
पिछले कुछ सालों में हमारे देश में कॉम्पैक्ट एसयूवी सैगमेंट में काफी कड़ा मुकाबला देखा गया है. यहां कुछ बहुत ही आकर्षक कारें मौजूद हैं और इनमें से किसी एक को चुनना आसान नहीं है. लेकिन ह्यून्दे क्रेटा, टाटा हैरियर, एमजी हेक्टर और किआ सेल्टोस के आने से बहुत पहले, एक कार आई थी जिसने इस सैगमेंट को शुरू किया. यह थी रेनॉ डस्टर. इसे एक सस्ती, कॉम्पैक्ट एसयूवी के रूप में पेश किया गया था, जिसमें बड़ी जगह, शानदार सवारी और ऊंचे माइलेज वाला डीज़ल इंजन, सब कुछ था.
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डस्टर को पहली बार 2012 में लॉन्च किया गया था और तब से इसमें कई बदलाव हुए हैं.
लेकिन 2012 से लेकर अबतक बहुत कुछ बदल गया है जैसे कि नियम, खरीदारों की भावनाएं और उनकी आवश्यकताएं. इसलिए, रेनॉ इंडिया ने डीज़ल इंजन को रोकने का फैसला किया जो सबसे पहले हम ही ने आपको बताया था. तो अब यह केवल पेट्रोल मॉडलों में आती है, और अब रेनॉ ने डस्टर की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए इसे एक टर्बो इंजन दिया है जो एक तरह से समय की आवश्यकता भी थी. इसने कार को इस सेगमेंट में सबसे शक्तिशाली कॉम्पैक्ट एसयूवी में से एक बना दिया है और हम इसे यह पता लगाने के लिए ड्राइव कर रहे हैं कि क्या यह अब भी एक पैसा वसूल विकल्प है या नही.
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डस्टर टर्बो के उँचे वेरिएंट्स में 17 इंच के अलॉय व्हील मिलते हैं.
यह कैसी ड्राइव करती है?
हमने कहा, 'सबसे शक्तिशाली कॉम्पैक्ट एसयूवी में से एक' है ना? और ऐसा इसलिए है क्योंकि निसान किक्स को भी यही 1.3 लीटर 4 सिलेंडर इंजन मिलता है. यह 5,500 आरपीएम पर काफी ज़्यादा 154 बीएचपी देता है लेकिन जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाता है वो यह कि सिर्फ 1600 आरपीएम पर 254 एनएम टॉर्क बन जाता है. इसकी तुलना में कार का 1.5-लीटर पेट्रोल इंजन 4000 आरपीएम पर 142 एनएम बनाता है और उसकी ताकत है 104 बीएचपी. लेकिन हम जानते हैं कि ज़्यादा ताकत के साथ क्या आता है. नहीं, मैं यहां स्पाइडरमैन की बात नहीं कर रहा हूं, यहां बात हो रही है ड्राइव का मज़ा लेने की.
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एक 7-स्टेप CVT डस्टर टर्बो पर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का काम करता है.
रेनॉ, मैनुअल और सीवीटी दोनों विकल्पों के साथ 1.3-लीटर टर्बो पेट्रोल की पेशकश कर रही है. और इतनी ताकत और टॉर्क का मतलब है कि यह एक ऐसी कार है जो शुरु से ही आपकी ड्राइव को मज़ेदार बना देती है. और यह इसके बावजूद कि आप टॉर्क कन्वर्टर या डुअल क्लच नहीं चला रहे हैं. 7 स्टेप का CVT इंजन के साथ खूबसूरती से मेल खाता है. आप उस समय का इंतज़ार करते हैं कि ट्रैफिक लाइट हरी कब होगी, या आप ओवरटेक कब कर पाएंगे, यह देखने के लिए कि इंजन कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देता है. और यह वाकई में काफी तेज़ है. हालाँकि, हमें यहां पर पैडल शिफ्टर्स की कमी ज़रूर महसूस हुई, यह होता तो और बढ़िया होता.
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रेनॉ डस्टर टर्बो पर मैनुअल और सीवीटी दोनों विकल्पों पर 16.5 kmpl की माईलेज का दावा किया गया है.
लेकिन क्या मज़ेदार ड्राइव का मतलब है कि इसकी माईलेज कम है? बेशक, यह प्रसिद्ध 1.5 लीटर K9K डीजल इंजन का एक बहुत बड़ा फायदा था, है ना? दावा किया गया है कि कार 1लीटर में 16.5 kmpl चलती है, लेकिन ट्रैफिक में हमें सबसे बेहतर 10 kmpl मिला और सबसे खराब 7. हां, यह डीज़ल की तुलना में कम है और यहां तक कि 1.5-लीटर पेट्रोल से भी है लेकिन याद रखें कि यहां काफी ताकत है. कार पर स्टार्ट / स्टॉप फंक्शन भी कुछ हद तक इस मामले में मदद करता है. एक EcoGuide सिस्टम ड्राइविंग के आँकड़े बताता है और यह भी बेहतर माइलेज निकालने में मदद करता है.
205 मिमी का ग्राउंड क्लीयरेंस खराब सड़कों और गढ्ढों पर मदद करता है.
सवारी और हैंडलिंग
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में मुकाबला काफी बढ़ गया है और सैगमेंट की कई कारें बिक्री के मामले में डस्टर से आगे निकल गईं हैं, लेकिन एक चीज़ है जिसमें एसयूवी शायद सबसे बेहतर बनी रही है और वो है इसकी शानदार सवारी. अब, बरसात के मौसम में हम जिन सड़कों पर ड्राइव करते हैं, वे शायद सबसे खराब स्थिति में होती हैं, लेकिन यहां ड्राइव के दौरान बढ़िया आराम मिलता है. और मुझे यकीन है कि किसी को भी 205 मिमी के ग्राउंड क्लियरेंस से परेशानी नही होगी. 2 उंचे वेरिएंट्स 17 इंच के अलॉय व्हील के साथ आते हैं, जिसका मतलब है कि ड्राइव के दौरान फिक्र थोड़ी कम हो जाती है और आप आत्मविश्वास के साथ सड़कों पर जा सकते हैं.
रेनॉ डस्टर को अब ऑल-व्हील ड्राइव या एएमटी विकल्प नहीं मिलते हैं.
टर्बो इंजन की आवाज़ भी केबिन में घुसपैठ नहीं करती है, कम से कम जब तक आप 4,000 आरपीएम को पार नहीं करते हैं. ग्रिप के स्तर अच्छे हैं और स्टीयरिंग भी आपको व्यस्त रखती है. पिक-अप और थ्रोटल रिस्पॉन्स भी टर्बो इंजन के लायक है. अफसोस की बात है कि डस्टर पर पहले देखे गए ऑल-व्हील ड्राइव विकल्प को अब पोर्टफोलियो में जगह नहीं मिली है. सुरक्षा के लिहाज़ से, जबकि दो एयरबैग मानक हैं, कार के सीवीटी वेरिएंट्स को ईएसपी और हिल स्टार्ट असिस्ट दिया गया है.
डिज़ाइन
टर्बो वेरिएंट्स पर कई जगह लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है.
इस टर्बो वैरिएंट को डस्टर के बाकी मॉडलों से पहचानना आसान है. लाल रंग अब लगभग कई कारों के टर्बो वेरिएंट की पहचान बन गया हैं और यहाँ भी ऐसा ही है. हालाँकि, Renault इसे क्रिमसन रेड एक्सेंट कहती है. फ्रंट ग्रिल, टेल गेट, रूफ रेल्स और फॉग लैंप कवर पर आपको लाल रंग मिलेगा. इसके अलावा पूरे क्रोम की ग्रिल, स्किड प्लेट के साथ ड्यूल टोन बॉडी कलर का अगला बंपर, LED DRLs के साथ प्रोजेक्टर हैडलैंप्स, LED टेल लैम्प्स और डायमंड कट अलॉय पिछले साल आए फेसलिफ्ट की तरह ही हैं. कुल 7 रंगों के विकल्प हैं और हमारे साथ महागनी ब्राउन था.
इंटीरियर्स
फीचर्स के मामले में, डस्टर का केबिन कई कारों से हल्का है.
काला रंग केबिन को एक अलग लुक देता है. 7-इंच की टच स्क्रीन यहाँ भी है और यह एप्पल कारप्ले, एंड्रॉइड ऑटो कनेक्टिविटी और वॉयस कमांड के साथ आती है. स्टीयरिंग माउंटेड कंट्रोल्स के साथ 2 फ्रंट ट्वीटर और एक आरकमीज़ ट्यून्ड साउंड सिस्टम भी मिलता है. हमेशा की तरह केबिन बड़ा है और 2019 मे आई फेसलिफ्ट के पहले वाली कार की तुलना में इसका एहसास कुछ बेहतर है.
ऐसी के स्विच जैसी कुछ चीज़े आधुनिक महसूस नही होती हैं.
लेकिन क्वालिटी और फीचर्स की बात करें इस सुधार के बावजूद डस्टर का केबिन सेगमेंट की कुछ अन्य कारों की तुलना में फीका लगता है. जहां अन्य कई कारों में वायरलेस चार्जर और सनरूफ हैं, डस्टर को स्टीयरिंग व्हील के लिए टेलीस्कोपिक एडजस्टमेंट या पिछली सीट पर ऐसी वेंट भी नहीं मिलते हैं. यह एक कनेक्टेड कार भी नहीं है, लेकिन एक फीचर है जो बहुत काम का है. प्री-कूलिंग फ़ंक्शन की मदद से आप कार में प्रवेश करने से पहले ही इंजन और ऐसी चालू कर सकते हैं. बस चाबी पर एक बटन दबाकर आप यह सुविधा मैनुअल या सीवीटी दोनों मॉडलों पर पर पा सकते हैं. लेकिन आपको कार के आसपास ही रहना होगा और कार न्यूट्रल में होनी चाहिए. 475 लीटर बूट स्पेस के लिए अच्छा आंकड़ा है.
रेनॉ डस्टर को 475 लीटर का बूट स्पेस मिलता है.
निर्णय
आख़िर में बात करते हैं कीमतों की. टर्बो के कुल 5 वेरिएंट हैं, बेस आरएक्सई ट्रिम सिर्फ मैनुअल गियरबॉक्स के साथ आता है जबकि आरएक्सएस और सबसे महंगे आरएक्सज़ेड को मैनुअल और सीवीटी दोनों विकल्प मिलते हैं. कीमतें रु 10.49 लाख से शुरू होती हैं और रु 13.59 लाख (एक्स-शोरूम) तक जाती हैं. एक संदर्भ के रूप में, क्रेटा टर्बो रु 16.16 लाख से शुरू होती है और सेल्टोस टर्बो की भी इसी तरह की कीमत है. यहां तक कि निसान किक्स जिसमें यही इंजन लगा है, उसकी कीमत भी टर्बो वेरिएंट के लिए रु 11.84 और रु 14.14 लाख के बीच है, सारी कीमतें एक्स-शोरूम दिल्ली. इसका मतलब है कि डस्टर सेगमेंट में सस्ती रहते हुए भी ड्राइव करने में और भी मजेदार हो गई है. यदि आप एक ऐसे केबिन के साथ रह सकते हैं जो कई अन्य कारों जितना बढ़िया नही है, तो आपको डस्टर से कोई शिकायत नही होगी.
जैसा कि कारंडबाइक ने आपको एक साल पहले बताया था, दूसरी जनरेशन की डस्टर को भारत में न लाने के फैसले के बाद, रेनॉ अब देश में तीसरी पीढ़ी की डस्टर को लॉन्च करेगी. और अच्छी खबर यह है कि यह नई पीढ़ी मुख्य रूप से भारत में डिजाइन होगी और बनाई जाएगी. लेकिन वह कार फिल्हाल हमसे कम से कम 3 साल दूर है.
तस्वीरें: मुकुल रौतेला
Last Updated on September 8, 2020
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