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2020 स्कोडा रैपिड रिव्यू: नया दमदार 1.0-लीटर टीएसआई इंजन

स्कोडा रैपिड को पहली बार 2011 में भारत में लॉन्च किया गया था और इन 9 वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है. कार अब केवल पेट्रोल में उपलब्ध है और क्या यह छोटा इंजन इस कॉम्पैक्ट सेडान के साथ न्याय करता है? इसका पता लगाने के लिए हमने इसे चलाया.
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द्वारा कारएंडबाइक टीम

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7 मिनट पढ़े

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प्रकाशित जुलाई 22, 2020

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Story

हाइलाइट्स

    स्कोडा रैपिड कॉम्पैक्ट सेडान को पहली बार देश में 2011 में लॉन्च किया गया, और क्या आप यह जानते हैं कि कार को सबसे पहले कारएंडबाइक पर दिखाया गया था? कुछ शुरुआती कामयाबी के बाद, गाड़ी को बाज़ार में ख़ास सफलता नहीं मिली. लेकिन इसने एक काम ज़रूर किया कि यह स्कोड़ा ब्रांड की सेडान को लोगों के करीब ले आई. आप इसे ऑक्टेविया की छोटी बहन भी बोल सकते थे भले ही यह एक अलग शक्ल की फोलक्सवैगन वेंटो थी. नौ साल बाद, 2016 में इसे मिले फेसलिफ्ट के अलावा बहुत कुछ नहीं बदला है. और दिखने में तो रैपिड वैसी ही है.

    यह भी पढ़ें: स्कोडा रैपिड राइडर प्लस वेरिएंट भारत में किया गया लॉन्च, कीमत ₹ 7.99 लाख

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    2016 में मिले फेसलिफ्ट के बाद से बहुत कुछ नहीं बदला है और दिखने में नई रैपिड पहले जैसी ही है.

    हमें पहली बार ऑटो एक्सपो 2020 में अपडेटेड मॉडल देखने को मिला और फिर हमने आपको बताया कि लुक के मामले में कई बदलाव नहीं हुए हैं. हालाँकि, हमें रैपिड के मोंटे कार्लो वेरिएंट टेस्ट करने को मिला, जो कार में पेश किए गए 5 वेरिएंट्स में सबसे ऊपर बैठता है. मोंटे कार्लो वेरिएंट फ्लैश रेड रंग में है, और निश्चित रूप से अलग दिखता है. ग्लॉस ब्लैक मिरर, क्वार्ट्ज-कट प्रोजेक्टर हेडलाइट्स, एलईडी डे-टाइम रनिंग लाइट्स और काली ग्रिल यह सब ध्यान आकर्षित करने वाली चीज़ें हैं. काले रंग का उपयोग साइड और पीछे की तरफ भी देखा जा सकता है. मोंटे कार्लो एडिय़न में ग्लॉसी ब्लैक बोल्ट कवर के साथ नए ड्यूल-टोन 16-इंच के अल्लॉय व्हील भी हैं. कंपनी राइडर और एम्बिशन वेरिएंट पर 15-इंच के पहिए दे रही है, जबकि बाकी वेरिएंट में यह 16 इंच के हैं. बी-पिलर पर मोंटे कार्लो का बैज है और काला रूफ फॉइल और टेलगेट स्पॉइलर लुक में चार चांद लगा देता है. तो, एक तरह से इतने सालों बाद भी कार अभी भी सड़क पर सुंदर दिखती है. इस तथ्य को देखते हुए कि इसमें एक नया शक्तिशाली इंजन है, यह अच्छी बात है. हालांकि कार का सबसे बड़ा बदलाव इंजन ही है.

    यह भी पढ़ें: स्कोडा रैपिड 1.0 TSI का ऑटोमैटिक वेरिएंट सितंबर 2020 में भारत में होगा लॉन्च

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    2020 रैपिड से डीजल इंजन हटा दिया गया है और नए टर्बो इंजन पर उम्मीदें टिकी हैं 

     यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब रैपिड केवल एक पेट्रोल इंजन के साथ उपलब्ध है जिसमें काफी ताकत है और वह भी सिर्फ 999cc के साथ. 109 बीएचपी ताकत है जो हालांकि सेग्मेंट की कुछ कारों से कम है, लेकिन एक भी अवसर नहीं आता जब यह कम महसूस होता हो. पहले लगे 1.6-लीटर इंजन की तुलना में यह 5 बीएचपी अधिक ताकत देता है. 175 Nm टॉर्क पहले की तुलना में 20 एनएम अधिक है और चलाने के मज़े में इज़ाफा करता है. इंजन काफी रिफाइंड है और इसे हम नई पोलो और वेंटो पर देख चुके हैं, साथ ही और भी कई कारों पर देखेंगे.

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    छह-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन स्टेंडर्ड है और गियर बदलना आसान है चाहे शहरी ट्रैफिक हो या हाईवे.  

    इस इंजन को चलाने में आनंद आता है हालाँकि शुरू में पिक-अप में थोडी़ कमी लगती है. 2400 आरपीएम के नीचे निराशा होती है लेकिन एक बार जब सुई 2500 आरपीएम के निशान को पार कर जाती है, तो फिर टर्बो का असली मज़ा आता है. ध्यान रहे कि थोड़ा सा इंजन का शोर होता है, लेकिन रेडलाइन के 6700 आरपीएम मार्क पर भी यह आपको खुश कर देता है. छह-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन स्टेंडर्ड है और गियर बदलना आसान है चाहे शहरी ट्रैफिक हो या हाईवे. गियर कि सेटिंग अच्छी तरह से की गई है और इसीलिए रैपिड के पास एक मजबूत मिड-रेंज है, और टर्बो लंबे समय तक अपना काम करता है. इसी वजह से कार में इससे अधिक ताकत की आवश्यकता महसूस नहीं होती. साथ ही इंजन किफायती भी है क्योंकि कार एक लीटर पेट्रोल में 18 km से अधिक चल जाती है. चलाने का मज़ा बरकरार है और आपके चेहरे पर एक मुस्कान बनी रहेगी. शायद आप ड्राइवर सीट पर किसी और को न बैठने दें.

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    सबसे बढ़िया बात है कि स्टीयरिंग बहुत सटीक है, जो कार के बारे में हमें पसंद आया

    आप ड्राइवर की सीट से बाहर नहीं निकलना चाहेंगे, यह राइड और हैंडलिंग की अच्छी तस्वीर पेश करता है. फ्लैट-बॉटम स्टीयरिंग व्हील स्टेंडर्ड नहीं है और केवल ऑनिक्स और मोंटे कार्लो वेरिएंट्स पर मिलती है. इसकी पकड़ अच्छी है दिखने में स्पोर्टी भी लगती है. लेकिन सबसे बढ़िया बात है कि यह बहुत सटीक है, जो कार के बारे में हमें पसंद आया. यह वाकई मज़ेदार है और जहां आप जाना चाहते हैं और यह बिल्कुल उसी तरफ ले जाती है. हां यह कम गति पर थोड़ी भारी महसूस ज़रूर होती है, लेकिन ऊंची रफ्तार पर इसका मज़ा अलग ही है. क्लच बढ़िया और हल्का है और गियरबॉक्स का थ्रो कम हैं, जो एक सकारात्मक चीज़ है. उबड़-खाबड़ रास्तों पर जाना रैपिड के लिए कोई समस्या नहीं है, यह सब कुछ अपनी चपेट में ले लेती है. लेकिन आप सड़क पर उन बड़े गड्ढों को ज़रूर महसूस करेंगे.

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    8 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम को विशेष रूप से भारतीय बाजार के लिए बनाया गया है

    केबिन के फीचर सेग्मेंट की बाकी कारों की तुलना में कम हैं. 2011 के मॉडल के मुकाबले केबिन कुछ बदलाव नहीं है. सीटें ठीक-ठाक हैं, लेकिन सिटी, वर्ना और यहां तक ​​कि सियाज़ जैसी कारों में यह बेहतर हैं. 8 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम नया है जो Android कनेक्टिविटी के साथ आता है और विशेष रूप से भारतीय बाजार के लिए बनाया गया है. यह सिस्टम आपको विश्व स्तर पर किसी अन्य रैपिड पर नहीं मिलेगा. यह प्रयोग करने में सहज और बेहद सरल है. अपने फोन को सिस्टम से जोड़ने के लिए, हालांकि, आपको थर्ड-पार्टी ऐप का उपयोग करना होगा, जिसका अर्थ है कि फोन पर एक ऐप को डाउनलोड करना होगा. कनेक्टेड कार तकनीक के मामले में भी रैपिड सेग्मेंट की कई कारों से पीछे है.

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    ऊंचे वेरिएंट्स में आपको ऑटो हैडलैंप्स, रेन-सेंसिंग वाइपर्स, टिल्ट-टेलिस्कोपिक स्टीयरिंग और रियर एसी वेंट मिलेंगे 

    हालाँकि, यह सराहनीय है कि रैपिड के राइडर नाम के बेस वेरिएंट में एक सीडी प्लेयर के साथ 2 डिन सिस्टम के अलावा क्लाइमेट कंट्रोल, फ्रंट और रियर इलेक्ट्रीकल ऑपरेटेड विंडो, इलेक्ट्रोनिकली ऑपरेटेड मिरर और बहुत कुछ है. सेफ्टी के लिए ड्यूल फ्रंट एयरबैग और ABS स्टैंडर्ड हैं. ऊंचे वेरिएंट्स में आपको ऑटो हैडलैंप्स, रेन-सेंसिंग वाइपर्स, टिल्ट-टेलिस्कोपिक स्टीयरिंग, रियर एसी वेंट, ऑटो-डिमिंग मिरर और रियर-व्यू कैमरा जैसे फीचर्स मिलते हैं. हालांकि कार में सनरूफ, एलईडी हेडलैंप, हवादार सीटें और वायरलेस चार्जिंग जैसे फीचर नहीं हैं. पिछली सीट पर भरपूर जगह नहीं है, मैं बस वहाँ किसी तरह फिट हुआ और हेडरूम और नीमरूम की कमी थी.

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    पिछली सीट पर भरपूर जगह नहीं है, मैं बस वहाँ किसी तरह फिट हुआ.

    तो चलिए कीमत की बात करते हैं. रैपिड सेग्मेंट में सबसे सस्ती कार है क्योंकि बेस वेरिएंट 7 लाख 49 हजार रुपए से शुरू होता है और यदि आप कार को हमेशा खरीदना चाहते थे, तो यह पहले से कहीं आसान हो गया है. रैपिड का बेस वेरिएंट ह्यून्दे वर्ना की तुलना में 1 लाख 82 हजार रुपए सस्ता है, सियाज़ के मुकाबले 82,000 रुपए कम है, होंडा सिटी की तुलना में 2 लाख 24 हजार रुपए किफायती है और टोयोटा यारिस इससे 1 लाख 37 हजार रुपए महंगी है . तो, रैपिड ने कीमत के मामले में तो बाज़ी मार ली

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    रैपिड एक दमदार पेशकश है और शायद कॉम्पैक्ट सेडान सेग्मेंट में चलाने के लिए सबसे मजेदार भी.

    स्कोडा ने नई रैपिड के साथ एक मजबूत बयान दिया है. डीजल इंजन को न लॉन्च करना वाकई में एक साहसी कदम है. अब ज़्यादा ज़ोर अधिक पेट्रोल मॉडल पेश करने और 4 साल स्कोडा मेंटेनेंस, सर्विस और वारंटी पैकेज देने पर है. कंपनी नई रैपिड को पैसा वसूल विकल्प बनाना चाहती है. हां, कुछ फीचर्स अब नहीं है और ऑटोमेटिक गियर भी नदारद है, लेकिन अगले कुछ महीनों में यह बदल जाएगा. 1-लीटर टीएसआई के साथ आई रैपिड एक दमदार पेशकश है और शायद कॉम्पैक्ट सेडान सेग्मेंट में चलाने के लिए सबसे मजेदार भी.

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    Last Updated on July 22, 2020


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