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1 अपैल 2018 से दिल्ली में मिलने लगेगा BS-VI ग्रेड इंधन, जानें 2020 की जगह 2018 में क्यों होगा लागू

प्रदूषण के बढ़ते असर और लोगों पर होते बुरे असर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि नेशनल कैपिटल टेरेटरी में 1 अप्रैल 2018 से BS-VI ग्रेड इंधन मिलना शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही सरकार 1 अप्रैल 2019 तक पूरे NCR में ग्रेड VI फ्यूल उपलब्ध कराने की तैयारियों में जुट गई है. टैप कर पढ़ें पूरी खबर.
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द्वारा अंशुमन साकल्ले

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प्रकाशित नवंबर 15, 2017

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Story

हाइलाइट्स

    दिल्ली में प्रदूषण जनता के लिए खतरनाक हो चुका है और खतरे के निशान से काफी आगे बढ़ चुका है. ऐसे में पहले दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन को दोबारा लागू करने पर विचार किया जिसपर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (NGT) ने न सिर्फ आपत्ति जताई, बल्कि सरकार को फटकार भी लगाई. भारत सरकार पहले ही हवा की क्वालिटी को लेकर चिंतित है और सिर्फ दिल्ली ही नहीं भारत के कई शहरों में स्मॉग से जनता जूझ रही है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसे लेकर पब्लिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों से बात शुरू की है. इस बातचीत में यह निर्णय लिया गया कि 1 अप्रैल 2020 से लागू होने वाले भारत स्टेज VI ग्रेड ऑटो फ्यूल को नेशनल कैपिटल टेरेटरी में 1 अप्रैल 2018 से लागू किया जाएगा.
     
    पेट्रोलियम मंत्रालय ने कंपनियों को 1 अप्रैल 2019 से पूरे NCR में यह फ्यूल शुरू करने की बात की है. दिल्ली एनसीआर ही नहीं पूरे भारत में प्रदूषण बेहद तेज रफ्तार से लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2017 से सभी वाहनों को BS-IV फ्यूल वाला होना अनिवार्य कर दिया. यह एक छोटा सा कदम था, लेकिन इससे टू-व्हीलर और कमर्शियल वाहन इंडस्ट्री को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा था. बता दें कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टेकहोल्डर्स ने बातचीत कर रही है जिसमें BS-V ग्रड को हटा देने की बात चल रही है. इससे सरकार BS-IV के बाद सीधा BS-VI एमिशन नॉर्म्स लागू कर सकती है जो 1 अप्रैल 2018 से लागू कर दिया जाएगा.
     
    ऑयल मिनिस्ट्री ने यह बात पक्की कर दी है कि ग्रेड VI के इंधन की सप्लाई तय सीमा में और तय समय पर शुरू कर दी जाएगी. राज्यों की रिफाइनरीज़ को फिलहाल अपग्रेडेशन की ज़रूरत पड़ने वाली है और सरकार ने कहा है कि इसमें लगभग 60,000 करोड़ रुपए का खर्च आने वाला है. सेंटर ऑफ साइंस की मानें तो BS-VI ग्रेट इंधन इस्तेमाल में लाने ने पर्यावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा डीजल कारों से 68% और पेट्रोल कारों से 25% नीचे आ जाएगी. बता दें कि कैंसर का एक कारण डीजल इंजन से निकलने वाले धुंए का प्रदूषण भी 80% तक कम हो जाएगा.
     
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