केंद्रीय बजट 2022: भारतीय ऑटो उद्योग की क्या हैं उम्मीदें?
हाइलाइट्स
जैसा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 अपने अंत के करीब है, भारत का वित्त मंत्रालय वित्त वर्ष 2023 के लिए केंद्रीय बजट की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को संसद में बजट की घोषणा करेंगी, और अन्य सभी उद्योगों की तरह, ऑटो सेक्टर भी यह देखने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है की इस बजट में उनके लिए क्या है. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन से लेकर FAME II और राज्य EV नीतियों के कार्यान्वयन से लेकर स्क्रैपिंग नीति की शुरुआत तक, हमने 2021 में कई बड़े विकास ऑटो सेक्टर में देखे, हालांकि, उद्योग को लगता है कि ऑटो क्षेत्र के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को विकास पथ पर वापस लाने में मदद करने के लिए कुछ बड़े सुधारों की आवश्यकता है जिसमें PIL योजना में संशोधन, EV पर अधिक प्रोत्साहन, निर्यात रियायतें और भी काफी कुछ शामिल हैं.
भारतीय ऑटो रिटेलर्स की शीर्ष संस्था फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने अपनी सिफारिश को दो पहलुओं, डिमांड रिवाइवल अपील और डीलर इश्यू में विभाजित किया है. FADA ने मूल्यह्रास योजना को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया है, इस प्रकार सभी प्रकार के वाहनों के लिए मूल्यह्रास दर में वृद्धि की है, जो विकास को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है. FADA ने मंत्रालय से दोपहिया वाहनों पर GST दरों को मौजूदा 28 प्रतिशत GST + 2 प्रतिशत केस्स ब्रैकेट से कम करके 18 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है. FADA का कहना है कि लग्जरी उत्पादों के लिए मौजूदा दरें ठीक हैं लेकिन टू-व्हीलर श्रेणी के लिए सही नहीं हैं.
इस्तेमाल किए गए वाहन उद्योग के संबंध में, उसने सभी इस्तेमाल किए गए वाहनों के मार्जिन पर 5 प्रतिशत की एक समान GST दर का अनुरोध किया है, जो वर्तमान में 4 मीटर से कम के वाहनों पर 12 प्रतिशत GST और 4 मीटर से ऊपर के वाहनों पर 18 प्रतिशत GST लगती है. FADA का कहना है कि यह उद्योग को असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में स्थानांतरित करने में मदद करेगा, जिससे कर लीकगेस पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. सरकार ने ₹400 करोड़ तक के टर्नओवर वाली प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 25 फीसदी कर दिया है. FADA का कहना है, "सभी एलएलपी, प्रोपराइटरी और पार्टनरशिप फर्मों को भी यही लाभ दिया जाना चाहिए क्योंकि ऑटो डीलरशिप समुदाय के अधिकांश व्यापारी भी इसी क्षेत्र में आते हैं. इससे व्यापारियों का मनोबल और भावना बढ़ाने में मदद मिलेगी.”
दूसरी ओर, सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने कहा, "केंद्र सरकार ने देश में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए कई सहायक उपायों की घोषणा की है. उद्योग ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से विकास देखा है. हालांकि, देश के ऑटोमोबाइल को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है.” ईवी निर्माताओं के शीर्ष निकाय ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के बारे में व्यापक जागरूकता बढ़ाने और ग्राहकों के दृष्टिकोण को प्रभावित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक किफायती बनाने और स्वच्छ भारत में 'स्वच्छ वायु अभियान' को शामिल करने के लिए प्राथमिकता वाले ऋण क्षेत्र में ईवी डालने पर विचार कर सकती है. यह मेड-इन-इंडिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए निर्यात रियायतों के साथ-साथ बैटरी निर्माण, और कौशल विकास में अनुसंधान एवं विकास के लिए बजट में विशेष आवंटन की भी अपेक्षा करते है.
ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए सरकार की पीएलआई योजना के संबंध में, एसएमईवी को इस योजना में संशोधन देखने की उम्मीद है जो छोटे और मध्यम आकार के ईवी खिलाड़ियों को भाग लेने की अनुमति देगा, जो वर्तमान में उनके आकार, टर्नओवर और पृष्ठभूमि के कारण संभव नहीं है. एक समान अवसर मिलने पर अधिक स्टार्ट-अप को इस अवसर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और इस प्रकार भारत में ईवी ईकोसिस्टम का विस्तार होगा. एसएमईवी ने कहा "सभी ईवी मालिकों के लिए ग्रीन प्वाइंट कार्ड के लिए एक छोटा बजट आवंटित किया जा सकता है, जैसे एयरलाइन कंपनियों के माइलेज कार्ड के प्रकार, जिसका उपयोग विभिन्न प्रतिष्ठानों और अवसरों पर फास्ट ट्रैक सेवाओं तक पहुंचने या पुरस्कारों के लिए अंक हासिल करने के लिए किया जा सकता है.”
इसलिए, अपेक्षाएं काफी अधिक हैं, और यह मांगे काफी महत्वपूर्ण भूमिका रखती हैं. हालांकि, आने वाले बजट में इन सभी पर क्या ध्यान दिया जाएगा, यह देखा अभी बाकी है.
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