दिल्ली की नई एग्रिग्रेटर नीति के नियम सामने आए, चालक के लिए कम से कम 3.5 रेंटिग होगी जरूरी
हाइलाइट्स
दिल्ली एग्रीगेटर योजना के मसौदे की घोषणा करने वाला पहला राज्य बन गया है. एग्रीगेटर नीति में कहा गया है कि अगर किसी ड्राइवर के खिलाफ एक महीने में 15 फीसदी यात्राओं में शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ कंपनी को उचित कार्रवाई करनी होगी. साथ ही अगर ड्राइवर की रेटिंग 3.5 तक नही होती है तो उसे परीक्षण के लिए भेजना अनिवार्य होगा और कंपनी के साथ जो भी ड्राइवर जुड़े हुए है उसकी पूरी जानकारी परिवहन विभाग को देनी होगी. इस योजना की अधिसूचना जारी होने के तीन महीने के अंदर सभी ड्राइवरों का और वाहनों का डाटा परिवहन विभाग को देना अनिवार्य होगा.
एग्रीगेटर्स को कारों के मामले में शुरुआती तीन 3 महीने में 5 फीसदी इलेक्ट्रिक कार शामिल करनी होंगी.
सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के शुरू होने के तीन महीने के भीतर एग्रीगेटर्स के पास टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहनों में कम से कम 10 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन होने चाहिए. इसके अलावा पहले वर्ष में एग्रीगेटर्स की ओर से खरीदे जाने वाले टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर वाहनों में 50 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन होने चाहिए. एग्रीगेटर्स को कारों के मामले में शुरुआती तीन 3 महीने में 5 फीसदी इलेक्ट्रिक कार शामिल करनी होंगी और एक साल में इसकी संख्या 25 फीसदी तक होनी चाहिए.
undefinedUnder the leadership of Hon'ble CM @ArvindKejriwal, Delhi has become the first state to announce the draft Aggregator Scheme to mandate #electricvehicle fleets for ride aggregators and delivery services. #zeroemission #100%electric@rmi_india pic.twitter.com/m4Ta5LFtoN
— Kailash Gahlot (@kgahlot) January 24, 2022
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किसी भी कंपनी के पास काम से काम 50 वाहन होने पर ही इस नीति के तहत लाइसेंस दिया जाएगा जिसकी वैधता एक साल की होगी. लाइसेंस शुल्क वाहनों के सेगमेंट और ईंधन के प्रकार पर आधारित होगा. ड्राइवर पार्टनर के पास सभी संबंधित दस्तावेज-लाइसेंस, आरसी परमिट, पीयूसी, पीएसवी बैज आदि होने चाहिए. इस लाइसेंस के लिए आवेदन परिवहन विभाग द्वारा अधिसूचित पोर्टल पर किया जा सकेगा. साथ ही कंपनी को 24 घंटे सातों दिन चलने वाला कॉल सेंटर स्थापित करना होगा.
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एग्रीगेटर प्रारूप योजना में सभी वहनों का कमर्शियल पंजीकरण होगा. शामिल किए गए सभी नए वाहन पंजीकरण की तारीख से 5 वर्ष से अधिक पुराने नहीं होने चाहिए और कंपनी के सभी वाहन पंजीकरण की तिथि से 8 वर्ष से अधिक पुराने नहीं होने चाहिए. नीति के अनुसार वाहनों पर संबंधित एग्रीगेटर का स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला लोगो/ब्रांडिंग होना चाहिए.
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